वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग समझते हैं। बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगिता। वैश्वीकरण के विकसित राष्ट्र अपनी अतिरिक्त पूँजी अर्द्धविकसित एवं विकासशील राष्ट्रों मे विनियोग करते है। https://kameronhbkru.digitollblog.com/33060056/how-वश-करण-म-त-र-can-save-you-time-stress-and-money